केतु गोचर 2014 - केतु का गोचरफल 2014
केतु 12 जुलाई 2014 को मीन राशि में प्रवेश करेगा। ज्योतिष के अनुसार यह नौवां ग्रह है। केतु के इस राशि में जाने से हमारी राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, आइए जानते हैं हमारे इस विशेष आलेख केतु का गोचरफल 2014 के माध्यम सेI
पुराणों के अनुसार केतु हिरण्यकशिपु की पुत्री सिंहिका का कनिष्ट पुत्र है। ज्योतिष के अनुसार यह नौवां ग्रह है। हालांकि इस ग्रह को पाप संज्ञक ग्रह माना गया है। ज्योतिष में इसे केवल ग्रह न मानकर छाया ग्रह माना गया है। ज्योतिष के अनुसार मानव जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में केतु मेष राशि में है। यह 12 जुलाई 2014 को मीन राशि में प्रवेश करेगा। इसका विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आइए जानते हैं:
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मेष
द्वादश भाव में स्थित केतु शुभफलों की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न कर सकता है। अत: इस अवधि में जल्दबाजी में कोई काम न करें, अन्यथा परेशानी हो सकती है। इस अवधि में आपकी रुचि कुछ गलत कामों के प्रति भी रह सकती है। आप कुछ गलत निर्णय भी ले सकते हैं। अत: गलत निर्णयों से बचें और दूसरों की सही सलाह को भी ध्यान में रखें। अपने स्वास्थ्य का खयाल रखें। हालांकि केतु के इस गोचर के कारण आप गूढ़ विज्ञान संबंधी विषयों से जुड़ सकते हैं।
उपाय: भगवान गणेश की पूजा करें और चरित्र उत्तम रखें।
वृषभ:
केतु आपके लाभ भाव में स्थित रहेगा। अत: परिस्थितियां आपके अनुकूल होंगी। पारिवारिक जीवन संतोष प्रदान करेगा। नौकरीपेशा को पदोन्नति मिलने के योग हैं। वहीं व्यापारी गण कोई मुनाफ़े का सौदा पा सकते हैं। मित्र और हितैषियों से सहयोग मिलता रहेगा। लम्बी दूरी की यात्रा की भी संभावना है। सामाजिक क्षेत्र में आपको प्रचुर प्रतिष्ठा और सम्मान मिलेगा।
उपाय: काले रंग का कुत्ता पालें।
मिथुन:
केतु के दशम भाव में स्थित होने से आपके व्यापार में वृद्धि की अच्छी संभावनाएं हैं। नौकरी के हालात में सुधार होगा। महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ आपके सम्पर्क बढेंगे। कोई नया परिवर्तन भी सम्भव है। केतु के इस गोचर के प्रभाव के कारण आप कोई नई योजना बना सकते हैं लेकिन कुछ भी नया करने से पहले अच्छाई और बुराई का अच्छी तरह विश्लेषण करना जरूरी होगा। घरेलू मामलों में ध्यान देने की भी आवश्यकता रहेगी।
उपाय: चांदी के बर्तन में शहद भर कर घर में रखें।
कर्क:
केतु ग्रह आपके नवम भाव में स्थित है। अत: इस अवधि में आप कुछ महत्त्वपूर्ण यात्राएं कर सकते हैं। आपका झुकाव धार्मिक कार्यों की तरफ हो सकता है। आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और सम्मान में इजाफा होगा। संस्थान के प्रमुख व्यक्ति के सम्पर्क में आयेंगे। आप अति सम्मानीय व्यक्ति समझे जायेंगे। पारिवारिक जीवन उल्लासमय रहेगा। परिवार के बड़े बुजुर्गों का खयाल रखना होगा।
उपाय: कानों में सोना पहने व घर में सोना रखें।
सिंह:
केतु आपके अष्टम भाव में होगा। अत: इस अवधि में आपको अपने स्वास्थ्य का खयाल रखना जरूरी होगा। अन्य मामलों में अनुकूल फलों की प्राप्ति होती रहेगी। कहीं से अचानक धन की प्राप्ति हो सकती है। कुछ अच्छी यात्राओं के अवसर मिलेंगे। आपका मन धार्मिक कार्यों की ओर लगेगा। पारिवारिक माहौल सौहार्दपूर्ण रहेगा। आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और सम्मान में इजाफा होगा।
उपाय: सफेद कम्बल मन्दिर में दान करें।
कन्या:
केतु का गोचर आपके सप्तम भाव में रहेगा। अत: आपको मिले जुले फल मिलेंगे। आप अपने काम धंधे को व्यवस्थित कर पाने में सफल रहेंगे। आपका सामजिक दायरा और अधिक बढ़ेगा। लेकिन वैवाहिक जीवन में कुछ हद तक असंतोष सम्भव है। प्रेम सम्बन्धों के लिए भी समय अधिक अनुकूल नहीं रहेगा। इस समय कोई भी जोखिम भरा काम न करें और स्वास्थ्य का खयाल रखें।
उपाय: भगवान गणेश की पूजा करें।
तुला:
केतु आपके छठे भाव में स्थित रहेगा अत: आप प्रतिस्पर्धा में सफल होंगे और आप विरोधियों पर विजय पा सकेंगे। व्यापार धन्धें में आप बहुत अच्छा कर सकते हैं। नौकरी के हालतों में भी सुधार सम्भव है। हर क्षेत्र से आपको सम्मान मिलेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। परिजनों का बर्ताव भी अच्छा रहेगा। अचानक की गई यात्रा सौभाग्य वृद्धि करेगी। अर्थात कुछ सामान्य परेशानियों को छोड़ दिया जाए तो यह गोचर आपके लिए बहुत अनुकूल रहेगा।
उपाय: बाएं हाथ में सोने का छ्ल्ला पहने।
वृश्चिक:
केतु आपके पंचम भाव में स्थित रहेगा। अत: इस अवधि में आपको जोखिम उठाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा। इस समय आप कई कामों को एक साथ करने का प्रयास कर सकते हैं। बेहतर तो यहीं होगा कि आप प्रत्येक काम को संयम के साथ करें। इस समय शत्रु आपकी साख बिगाड़ने का प्रयत्न कर सकते हैं। अत: उनसे सावधान रहें। स्वास्थ्य का खयाल रखें और बेवजह की यात्राओं से बचें।
उपाय: केसर का तिलक लगाएं।
धनु:
केतु आपके चतुर्थ भाव में स्थित रहेगा। अत: घरेलू जीवन अशांत रह सकता है। वैचारिक स्पष्टता का अभाव भी रह सकता है। परिजनों को लेकर चिंताएं रह सकती हैं। व्यापार धन्धा में मंदी तथा नौकरी के हालात असंतोषप्रद हो सकते हैं। स्वास्थ्य का खयाल रखना भी जरूरी होगा। हालांकि इस अवधि में आपका मन धार्मिक क्रिया कलाप की ओर झुका रहेगा और आप पवित्र स्थलों की यात्रा कर पाएंगे।
उपाय: पीले रंग के नींबू चलते पानी में प्रवाहित करें।
मकर:
केतु आपके तीसरे भाव में स्थित रहेगा। अत: इस अवधि में आप आशावादी रहेंगे। यात्राएं लाभकारी रहेंगी। संचार द्वारा प्राप्त समाचार लाभकारी रहेंगे। मित्र मंडली बढ़ेगी। आमदनी में इजाफा होगा। पारिवारिक जीवन सुखद रहेगा। आध्यात्मिक कार्यों के प्रति झुकाव बढे़गा। लेकिन इस अवधि में आपको अपने हर काम को बुद्धिमत्ता से निबटाने का प्रयास करते रहना होगा।
उपाय: कानों में सोना पहनें और भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध रखें।
कुम्भ:
केतु आपकी कुंडली के दूसरे भाव में रहेगा। अत: आपका आत्मविश्वास कमजोर रह सकता है। आर्थिक ममलों के लिए भी समय बहुत अनुकूल नहीं रहेगा। आपको अपनी वाणी पर संयम रखना होगा अन्यथा आपसी वैमनस्य बढ़ सकता है। पारिवारिक संबंधों को बिगड़ने न दें। आपका स्वास्थ्य भी प्रभावित रह सकता है। इस समय बेकार की यात्राओं से बचने का भी प्रयास करें। किसी नए उद्यम की शुरुआत भी उचित नहीं होगी।
उपाय: चरित्र उत्तम बनाए रखें और माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
मीन:
केतु आपके प्रथम भाव में रहेगा। अत: अपनी प्रतिष्ठा के प्रति सचेत रहें। अपने स्वास्थ्य का खयाल रखना भी जरूरी होगा। इस अवधि में आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी होगी क्योंकि मित्र व हितैषी अपना वचन नहीं निभा पाएंगे। लेकिन अति आत्मविश्वास से बचना होगा। आर्थिक मामलों के लिए समय कम ठीक रहेगा। इस अवधि में आप व्यवहारिक रहने का प्रयत्न करें। व्यर्थ के कामों में न उलझे। यथासंभव यात्राओं से बचें।
उपाय: बंदरों को गुड़ खिलाएं।
इसके अलावा शनिवार एवं मंगलवार के दिन व्रत रखने से भी केतु से मिलने वाले अशुभ फलों का नाश होता है। साथ ही यदि आपको केतु से सम्बंधित अशुभ फल मिल रहे हों तो बुजुर्गों एवं संतों की सेवा करनी चाहिए इससे केतु द्वारा प्रदत्त कुफल शांत होते हैं। आशा है इस पूर्वानुमान को जानकर आप जरूर लाभान्वित होंगे।
पं. हनुमान मिश्रा
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