कर्णवेध मुहूर्त 2021 तिथि एवं समय- Karnavedha Muhurat 2021
कर्णवेध मुहूर्त 2021 में आप पढ़ेंगे, आने वाले नव वर्ष 2021 में आखिर कब संपन्न करना शुभ रहेगा बच्चों का कर्णवेध संस्कार। साथ ही इसके माध्यम से आपको इसके शुभ मुहूर्त के साथ-साथ, इसकी तारीख, तिथि, वार, नक्षत्र और समय के बारे में भी सभी जानकारी दी जाएँगी। हिन्दू धर्म के सभी 16 संस्कारों में से एक सबसे व सबसे महत्ववपूर्व माना जाने वाला ये संस्कार, मनुष्य के सुखी और सार्थक जीवन को सुनिश्चित करने में उसकी मदद करता है। ऐसे में हमारा ये लेख आपको, साल 2021 में पड़ने वाले कर्णवेध संस्कार के सभी शुभ मूहूर्त की पूरी सूची प्रदान करता है। जिसकी मदद से आप अपनी सुविधानुसार कर्णवेध मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।
मन की हर प्रकार की दुविधाओं के निवारण हेतु, हमारे अनुभवी ज्योतिषी से प्रश्न पूछें ।
कर्णवेध मुहूर्त 2021 की संपूर्ण सूची
सनातन धर्म में उल्लेखित सभी 16 संस्कार, जिन्हें हम षोडश संस्कार के नाम से भी जानते है, उनमें विशेष रूप से कर्णवेध संस्कार, मुंडन मुहूर्त, नामकरण मुहूर्त, विवाह मुहूर्त और गृह प्रवेश मुहूर्त को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। इन्हीं में से आज हम अपने इस लेख के माध्यम से आपको, स्पष्ट रूप से कर्णवेध मुहूर्त 2021 से जुड़ी हर एक जानकारी देंगे। पौराणिक काल से ही हर कार्य के लिए कुछ नियम, कायदों के साथ ही एक विशेष समय निर्धारित की जाने की परंपरा चली आ रही है। जिसके अनुसार ही अगर कोई भी कार्य किया जाए तो, माना गया है कि उससे मनुष्य को शुभाशुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।
यही मुख्य कारण है कि कर्णवेध संस्कार भी, शुभ मुहूर्त यानि शुभ समय काल का विचार करके ही संपन्न किया जाता है। ऐसे में आप भी नीचे दी गई तालिका को देखकर, अपनी सुविधानुसार कर्णवेध संस्कार के लिए सही व शुभ मुहूर्त का चयन कर सकते हैं:-
जनवरी कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
01 जनवरी, 2021 | शुक्रवार | 8:40 बजे से | 13:15 बजे तक | |
14:50 बजे से | 19:00 बजे तक | |||
06 जनवरी, 2021 | बुधवार | 07:46 बजे से | 10:03 बजे तक | |
11:30 बजे से | 16:26 बजे तक | |||
09 जनवरी, 2021 | शनिवार | 14:18 बजे से | 18:29 बजे तक | |
10 जनवरी, 2021 | रविवार | 08:05 बजे से | 12:39 बजे तक | |
14 जनवरी, 2021 | गुरुवार | 07:46 बजे से | 09:31 बजे तक | |
10:59 बजे से | 15:54 बजे तक | |||
15 जनवरी, 2021 | शुक्रवार | 07:46 बजे से | 09:27 बजे तक | |
10:55 बजे से | 15:50 बजे तक | |||
20 जनवरी, 2021 | बुधवार | 07:45 बजे से | 12:00 बजे तक | |
21 जनवरी, 2021 | गुरुवार | 09:04 बजे से | 13:31 बजे तक | |
15:27 बजे से | 17:41 बजे तक | |||
25 जनवरी, 2021 | सोमवार | 07:44 बजे से | 08:48 बजे तक | |
10:15 बजे से | 17:26 बजे तक | |||
28 जनवरी, 2021 | गुरुवार | 14:59 बजे से | 19:34 बजे तक |
फरवरी कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
03 फरवरी, 2021 | बुधवार | 07:39 बजे से | 08:13 बजे तक | |
09:40 बजे से | 16:50 बजे तक | |||
06 फरवरी, 2021 | शनिवार | 09:28 बजे से | 10:53 बजे तक | |
12:28 बजे से | 18:59 बजे तक | |||
12 फरवरी, 2021 | शुक्रवार | 07:37 बजे से | 09:05 बजे तक | |
10:30 बजे से | 16:15 बजे तक | |||
17 फरवरी, 2021 | बुधवार | 07:29 बजे से | 11:45 बजे तक | |
13:41 बजे से | 18:16 बजे तक | |||
21 फरवरी, 2021 | रविवार | 18:00 बजे से | 20:17 बजे तक | |
22 फरवरी, 2021 | सोमवार | 07:24 बजे से | 08:25 बजे तक | |
09:50 बजे से | 13:21 बजे तक | |||
24 फरवरी, 2021 | बुधवार | 07:39 बजे से | 09:42 बजे तक | |
11:18 बजे से | 17:48 बजे तक | |||
25 फरवरी, 2021 | गुरुवार | 07:21 बजे से | 09:38 बजे तक | |
11:14 बजे से | 15:24 बजे तक |
मार्च कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
01 मार्च, 2021 | सोमवार | 09:23 बजे से | 12:53 बजे तक | |
15:08 बजे से | 19:41 बजे तक | |||
05 मार्च, 2021 | शुक्रवार | 10:42 बजे से | 17:13 बजे तक | |
10 मार्च, 2021 | बुधवार | 07:22 बजे से | 12:18 बजे तक | |
14:33 बजे से | 19:10 बजे तक | |||
11 मार्च, 2021 | गुरुवार | 07:19 बजे से | 14:29 बजे तक | |
15 मार्च, 2021 | सोमवार | 07:03 बजे से | 08:28 बजे तक | |
10:03 बजे से | 16:33 बजे तक | |||
29 मार्च, 2021 | सोमवार | 07:33 बजे से | 11:03 बजे तक | |
13:18 बजे से | 18:23 बजे तक |
अप्रैल कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
01 अप्रैल, 2021 | गुरुवार | 13:06 बजे से | 15:27 बजे तक | |
17:44 बजे से | 20:00 बजे तक | |||
07 अप्रैल, 2021 | बुधवार | 06:57 बजे से | 10:28 बजे तक | |
12:43 बजे से | 19:37 बजे तक | |||
12 अप्रैल, 2021 | सोमवार | 10:08 बजे से | 17:01 बजे तक | |
17 अप्रैल, 2021 | शनिवार | 06:25 बजे से | 09:49 बजे तक | |
12:03 बजे से | 18:57 बजे तक | |||
19 अप्रैल, 2021 | सोमवार | 06:23 बजे से | 11:55 बजे तक | |
14:16 बजे से | 18:49 बजे तक | |||
25 अप्रैल, 2021 | रविवार | 07:22 बजे से | 09:17 बजे तक | |
11:32 बजे से | 18:26 बजे तक | |||
29 अप्रैल, 2021 | गुरुवार | 07:06 बजे से | 13:36 बजे तक |
मई कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
03 मई, 2021 | सोमवार | 11:00 बजे से | 17:54 बजे तक | |
08 मई, 2021 | शनिवार | 15:18 बजे से | 19:54 बजे तक | |
09 मई, 2021 | रविवार | 06:53 बजे से | 12:57 बजे तक | |
15:14 बजे से | 19:50 बजे तक | |||
14 मई, 2021 | शुक्रवार | 06:14 बजे से | 08:03 बजे तक | |
10:17 बजे से | 17:11 बजे तक | |||
15 मई, 2021 | शनिवार | 06:03 बजे से | 10:13 बजे तक | |
16 मई, 2021 | रविवार | 12:30 बजे से | 19:23 बजे तक | |
17 मई, 2021 | सोमवार | 07:22 बजे से | 12:26 बजे तक | |
14:43 बजे से | 19:19 बजे तक | |||
23 मई, 2021 | रविवार | 09:42 बजे से | 16:36 बजे तक | |
24 मई, 2021 | सोमवार | 07:23 बजे से | 09:38 बजे तक | |
26 मई, 2021 | बुधवार | 07:15 बजे से | 11:50 बजे तक | |
14:08 बजे से | 18:43 बजे तक | |||
31 मई, 2021 | सोमवार | 09:10 बजे से | 16:04 बजे तक |
जून कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
05 जून, 2021 | शनिवार | 06:36 बजे से | 11:11 बजे तक | |
13:28 बजे से | 18:04 बजे तक | |||
06 जून, 2021 | रविवार | 06:49 बजे से | 13:24 बजे तक | |
15:41 बजे से | 20:02 बजे तक | |||
10 जून, 2021 | गुरुवार | 17:44 बजे से | 20:03 बजे तक | |
11 जून, 2021 | शुक्रवार | 06:12 बजे से | 08:27 बजे तक | |
10:47 बजे से | 15:21 बजे तक | |||
13 जून, 2021 | रविवार | 06:05 बजे से | 08:19 बजे तक | |
10:40 बजे से | 19:30 बजे तक | |||
20 जून, 2021 | रविवार | 07:52 बजे से | 17:05 बजे तक |
जुलाई कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
02 जुलाई, 2021 | शुक्रवार | 07:04 बजे से | 09:25 बजे तक | |
11:42 बजे से | 16:18 बजे तक | |||
10 जुलाई, 2021 | शनिवार | 08:53 बजे से | 15:46 बजे तक | |
11 जुलाई, 2021 | रविवार | 06:29 बजे से | 08:49 बजे तक | |
11:07 बजे से | 18:01 बजे तक | |||
16 जुलाई, 2021 | शुक्रवार | 06:36 बजे से | 13:03 बजे तक | |
15:23 बजे से | 19:45 बजे तक | |||
17 जुलाई, 2021 | शनिवार | 17:38 बजे से | 19:42 बजे तक | |
24 जुलाई, 2021 | शनिवार | 14:51 बजे से | 19:14 बजे तक | |
25 जुलाई, 2021 | रविवार | 06:20 बजे से | 12:28 बजे तक | |
14:48 बजे से | 19:10 बजे तक | |||
26 जुलाई, 2021 | सोमवार | 07:50 बजे से | 12:24 बजे तक | |
29 जुलाई, 2021 | गुरुवार | 14:32 बजे से | 16:50 बजे तक | |
31 जुलाई, 2021 | शनिवार | 07:31 बजे से | 09:48 बजे तक | |
12:04 बजे से | 18:47 बजे तक |
अगस्त कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
04 अगस्त, 2021 | बुधवार | 07:15 बजे से | 11:49 बजे तक | |
14:08 बजे से | 18:31 बजे तक | |||
06 अगस्त, 2021 | शुक्रवार | 07:07 बजे से | 14:00 बजे तक | |
16:19 बजे से | 18:23 बजे तक | |||
12 अगस्त, 2021 | गुरुवार | 17:59 बजे से | 19:42 बजे तक | |
13 अगस्त, 2021 | शुक्रवार | 06:40 बजे से | 11:13 बजे तक | |
13:33 बजे से | 19:38 बजे तक | |||
22 अगस्त, 2021 | रविवार | 06:43 बजे से | 12:57 बजे तक | |
15:16 बजे से | 19:02 बजे तक |
सितंबर कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
01 सितंबर, 2021 | बुधवार | 07:42 बजे से | 12:18 बजे तक | |
02 सितंबर, 2021 | गुरुवार | 16:37 बजे से | 18:19 बजे तक | |
03 सितंबर, 2021 | शुक्रवार | 07:34 बजे से | 14:29 बजे तक | |
16:33 बजे से | 18:15 बजे तक | |||
04 सितंबर, 2021 | शनिवार | 07:30 बजे से | 14:25 बजे तक | |
16:29 बजे से | 18:11 बजे तक | |||
09 सितंबर, 2021 | गुरुवार | 07:11 बजे से | 09:27 बजे तक | |
11:47 बजे से | 17:52 बजे तक | |||
12 सितंबर, 2021 | रविवार | 11:35 बजे से | 13:53 बजे तक | |
15:57 बजे से | 19:07 बजे तक | |||
13 सितंबर, 2021 | सोमवार | 06:55 बजे से | 09:11 बजे तक | |
17 सितंबर, 2021 | शुक्रवार | 11:15 बजे से | 17:20 बजे तक | |
18 सितंबर, 2021 | शनिवार | 07:24 बजे से | 08:52 बजे तक | |
11:11 बजे से | 18:44 बजे तक |
अक्टूबर कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
06 अक्टूबर, 2021 | बुधवार | 17:33 बजे से | 18:58 बजे तक | |
07 अक्टूबर, 2021 | गुरुवार | 09:57 बजे से | 17:29 बजे तक | |
10 अक्टूबर, 2021 | रविवार | 07:25 बजे से | 12:03 बजे तक | |
14:07 बजे से | 15:50 बजे तक | |||
15 अक्टूबर, 2021 | शुक्रवार | 09:25 बजे से | 15:30 बजे तक | |
16:57 बजे से | 18:22 बजे तक | |||
20 अक्टूबर, 2021 | बुधवार | 09:05 बजे से | 11:24 बजे तक | |
13:28 बजे से | 19:38 बजे तक | |||
21 अक्टूबर, 2021 | गुरुवार | 06:57 बजे से | 13:24 बजे तक | |
15:06 बजे से | 17:59 बजे तक | |||
25 अक्टूबर, 2021 | सोमवार | 08:46 बजे से | 14:51 बजे तक | |
17:43 बजे से | 19:18 बजे तक | |||
27 अक्टूबर, 2021 | बुधवार | 07:37 बजे से | 08:38 बजे तक | |
10:57 बजे से | 13:01 बजे तक | |||
28 अक्टूबर, 2021 | गुरुवार | 07:01 बजे से | 10:53 बजे तक | |
12:57 बजे से | 17:31 बजे तक | |||
29 अक्टूबर, 2021 | शुक्रवार | 07:02 बजे से | 10:49 बजे तक |
नवंबर कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
03 नवंबर, 2021 | बुधवार | 08:10 बजे से | 10:29 बजे तक | |
06 नवंबर, 2021 | शनिवार | 07:08 बजे से | 10:17 बजे तक | |
12:21 बजे से | 16:56 बजे तक | |||
10 नवंबर, 2021 | बुधवार | 16:40 बजे से | 18:15 बजे तक | |
17 नवंबर, 2021 | बुधवार | 07:16 बजे से | 11:38 बजे तक | |
21 नवंबर, 2021 | रविवार | 09:18 बजे से | 13:05 बजे तक | |
14:32 बजे से | 19:28 बजे तक | |||
22 नवंबर, 2021 | सोमवार | 09:14 बजे से | 11:18 बजे तक | |
24 नवंबर, 2021 | बुधवार | 09:06 बजे से | 15:45 बजे तक | |
17:20 बजे से | 19:16 बजे तक | |||
25 नवंबर, 2021 | गुरुवार | 07:23 बजे से | 09:02 बजे तक | |
11:07 बजे से | 15:41 बजे तक | |||
17:16 बजे से | 19:12 बजे तक |
दिसंबर कर्णवेध मुहूर्त 2021
दिनांक | दिन | मुहूर्त की समयावधि | ||
01 दिसंबर, 2021 | बुधवार | 07:28 बजे से | 13:53 बजे तक | |
15:18 बजे से | 18:31 बजे तक | |||
08 दिसंबर, 2021 | बुधवार | 07:33 बजे से | 11:58 बजे तक | |
13:25 बजे से | 18:21 बजे तक | |||
09 दिसंबर, 2021 | गुरुवार | 07:33 बजे से | 13:21 बजे तक | |
14:46 बजे से | 18:17 बजे तक | |||
13 दिसंबर, 2021 | सोमवार | 07:36 बजे से | 07:52 बजे तक | |
09:56 बजे से | 14:30 बजे तक | |||
16:06 बजे से | 20:16 बजे तक | |||
19 दिसंबर, 2021 | रविवार | 07:40 बजे से | 12:42 बजे तक | |
14:07 बजे से | 17:38 बजे तक | |||
27 दिसंबर, 2021 | सोमवार | 07:43 बजे से | 10:43 बजे तक | |
12:10 बजे से | 17:06 बजे तक | |||
31 दिसंबर, 2021 | शुक्रवार | 08:45 बजे से | 13:20 बजे तक | |
14:55 बजे से | 18:29 बजे तक |
कर्णवेध मुहूर्त 2021: कर्णवेध संस्कार
कर्णवेध संस्कार मुहूर्त 2021, विशेष रूप से कान छिदवाने के शुभ मुहूर्त को कहते है। इसमें “कर्णवेध” शब्द दो अलग-अलग शब्दों के मेल से बनता है- कर्ण और वेध। जहाँ कर्ण का तात्पर्य है “कान” और वेध का “भेदी” होता है। इस प्रकार, कर्णवेध संस्कार मनुष्य के कान भेदी के समारोह की प्रक्रिया को निर्धारित करता है।
हिन्दू परिवार में जन्मे हर बच्चे के लिए एक निर्धारित समय के अनुसार, उसका कान छिदवाने की परंपरा है। इसको लेकर माना जाता है कि ऐसा करने से न केवल बच्चों की दिनचर्या बेहतर होती है, बल्कि इस संस्कार से उनके जीवन में आ रही हर प्रकार की, नकारात्मक शक्तियां नष्ट करने में मदद भी मिलती है। इस संस्कार के दौरान, अभिभावक जन्म के कुछ समय बाद बालक/बालिका के कान के निचले हिस्से में छेद कराते है, और फिर उसमें कुछ दिनों के लिए कुण्डल पहनाया जाता है। ऐसा करना हिन्दू धर्म में बेहद शुभ माना गया है।
हालांकि अब आधुनिक काल में, इस संस्कार में लोगों द्वारा बहुत से बदलाव भी देखने को मिलते हैं। अब लोग अपनी सुविधानुसार, अपने-अपने तरीके से इस संस्कार को संपन्न कराते हैं। जिसमें से जहाँ कुछ अभिभावक अपने बच्चे का कान छेदने की प्रक्रिया के लिए, कोई मुहूर्त या विधि विधान नहीं मानते, तो वहीं कुछ लोग जन्म के बाद कान छेदन के लिए बच्चे की सही आयु का भी ध्यान नहीं रखते हैं।
जबकि उन्हें ये समझना चाहिए कि, इस संस्कार को बच्चे के जन्म के तीन से पांच साल के अंदर ही संपन्न करवाना चाहिए। और यदि ऐसा सही मुहूर्त और पूरे विधि-विधान अनुसार किया जाए तो, इससे बच्चों के आने वाले बेहतर भविष्य का निर्माण करने में मदद मिलती है।
कर्णवेध संस्कार 2021का महत्व
हिन्दू समाज के सभी 16 संस्कारों का अपना एक विशेष महत्व होता है, लेकिन उनमें से एक कर्णवेध संस्कार का भी अपना एक अलग महत्व देखा जाता रहा है।
- इस संस्कार की मदद से ही बच्चे का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, बेहतर करने में मदद मिलती है।
- साथ ही कान छेदने की प्रक्रिया से आगे चलकर बच्चे को, मानसिक रोग या फिर बहरेपन की समस्या से भी निजात दिलाई जा सकती है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि किसी का कर्णवेध संस्कार नहीं किया जाता है तो वो व्यक्ति, पितृ श्राद्ध जैसे कई महत्वपूर्ण कर्मकांडों से भी वंचित रह जाता है।
- हिन्दू शास्त्रों में भी कर्णवेध एक बेहद महत्वपूर्ण समारोह माना जाता है, जिसे सही समय पर संपन्न करने का विधान बताया गया है।
- कर्णवेध महिलाओं और पुरुषों के सौंदर्य और कौशल को भी, बढ़ाने में बेहद कारगर माना जाता है।
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कब करें कर्णवेध संस्कार 2021?
हिन्दू धर्म के अनुसार किसी भी बच्चे का कर्णवेध संस्कार संपन्न कराते समय, कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना अनिवार्य होता है:
- सभी 16 संस्कारों में से कर्णवेध 9वां संस्कार है, जो नामकरण, अन्नप्रशान और मुंडान संस्कार के बाद ही किया जाता है।
- आमतौर पर इसे विद्यारंभ संस्कार से पहले किया जाता है, क्योंकि इससे बच्चे की सुनने और सीखने की क्षमता का विकास होता है। जिससे बच्चे को पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा कठिनाई नहीं आती है।
- धर्म सिंधु के अनुसार, बच्चे का कर्णवेध संस्कार, उसके जन्म के बाद दसवे, बारहवे, सोलहवे दिन या फिर छठे, सातवे, आठवे, दसवे और बारहवे माह में ही करना शुभ रहता है।
- इसके अलावा किसी कारणवश, उपरोक्त समय पर यदि ये संस्कार नही किया गया हो तो, अभिभावक बच्चे के जन्म के तीसरे या पांचवें वर्ष तक भी इसे संपन्न करा सकते हैं।
- कुछ परिवार अपनी कुल परंपरा के अनुसार भी, शिशु के जन्म के बाद विषम वर्षों में उसका कर्णवेध संस्कार करते हैं।
- वहीं बालिकाओं का कर्णवेध संस्कार विषम वर्षों में करते हुए, उसके कान के साथ-साथ नाक छिदवाने की भी परंपरा को अहमियत दी जाती है।
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कैसे करें कर्णवेध मुहूर्त 2021 की सही गणना ?
हिन्दू धर्म के अनुसार किसी भी बच्चे का कर्णवेध संस्कार संपन्न कराने के लिए शुभ लग्न, दिन, तिथि, माह, और नक्षत्रों की स्थिति में ध्यान में रखना बेहद अहम होता है।
- वैदिक शास्त्रों के अनुसार, जब गुरु बृहस्पति वृषभ, धनु, तुला और मीन लग्न में उपस्थित होते है, तब वो समय कर्णवेध संस्कार के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त माना जाता है।
- मास में से कार्तिक, पौष, चैत्र व फाल्गुन मास कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ होते हैं।
- जबकि विशेषज्ञों अनुसार मुख्यतौर पर कर्णवेध संस्कार, खर मास (जिस समय सूर्य धनु और मीन राशि में उपस्थित हो), क्षय तिथि, देवशयनी से देवउठनी एकादशी, जन्म मास और भद्रा में संपन्न करना अशुभ माना गया है।
- वारों में से सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन, इस संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त का निर्माण करते हैं।
- वहीं नक्षत्रों की अगर बात करें तो, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, हस्त, अश्विनी, पुष्य, अभिजीत, श्रवण, धनिष्ठा, पुनर्वसु नक्षत्र, कर्णवेध संस्कार के लिए बेहद उपयोगी होते है।
- इसे चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या की तिथि को छोड़कर, अन्य किसी भी तिथियों में सम्पन्न किया जा सकता है।
- ग़ौरतलब है कि इसे कभी भी, किसी भी ग्रहण की अवधि के दौरान नहीं किया जाना चाहिए।
कर्णवेध मुहूर्त 2021 के लाभ
- माना जाता है कि शिशु के कान छिदवाने से, उसकी सुनने की शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ, आगे चलकर उसको प्रखर व बुद्धिमान बनने में मदद मिलती है।
- विशेषज्ञों अनुसार कर्णवेध संस्कार संपन्न करने से बालक को, बौद्धिक और शारीरिक लाभ तो मिलता ही हैं। साथ ही इस संस्कार को विद्यारंभ संस्कार से पहले ही करके, बच्चे की बौद्धिक शक्ति का विकास भी सुनिश्चित किया जा सकता है।
- कान छेदने से मनुष्य की शारीरिक सौंदर्यता में भी चार चाँद लगाते हैं। इसलिए पौराणिक काल से लेकर आज के आधुनिक दौर में भी, कानों में आभूषण पहनना फैशन बन चुका है।
- कई वैज्ञानिक ये दावा करते हैं कि, कानों में छेद करने से हार्निया और लकवा जैसी बीमारियों से बचाव तो होता ही है, साथ ही इससे अंडकोष की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है।
- कर्णवेध के बाद कानों में सोने के आभूषण पहनने से, कानों की नसें काफी हद तक ठीक होती है।
- इसके अलावा ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से भी, ये माना जाता है कि कानों में पहने गए आभूषणों पर जब भी सूर्य देव की किरणें पड़ती है तो, उससे निकलने वाली ऊर्जा बालक के तेज में वृद्धि करती हैं।
- साथ ही इससे बालक के जीवन में पड़ने वाले, सभी प्रकार के राहु-केतु के नकारात्मक प्रभाव भी कम किए जा सकते हैं।
- विज्ञान भी महिलाओं द्वारा कानों में छेद कर, उसमें स्वर्ण (सोने) के कुंडल पहनना अहम मानता है। क्योंकि इससे लड़कियों को मासिक धर्म से संबंधित हर प्रकार के रोग से निजात तो मिलती ही है, साथ ही उन्हें हिस्टीरिया रोग में भी लाभ मिलता है।
- पौराणिक काल से आज तक लोग, नाक में गोल आकार की बाली या नथुनी धारण करते हैं। क्योंकि ऐसा करना नासिका से संबंधित कई रोगों से उनका बचाव करता है।
- नाक में छेद करने से, बच्चे को सर्दी-ख़ासी से भी राहत मिलती है।
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कर्णवेध संस्कार 2021 की विधि?
- कर्णवेध संस्कार संपन्न करने से पहले, कुल या इष्टदेव के साथ ही समस्त देवी-देवताओं का आह्वान करें।
- इसके बाद प्रक्रिया अनुसार बच्चे के कान छेदते वक़्त, उसका मुंह सूर्य की दिशा में होना अनिवार्य होता है। क्योंकि माना जाता है कि इससे बालक में, सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने में मदद मिलती है।
- कान छेदते समय, बालक के कानों में कर्णवेध संस्कार के उपयोगी मंत्र का उच्चारण करें।
- इस संस्कार से सर्वश्रेष्ठ लाभ पाने के लिए, छेद करने के तुरंत बाद से कुछ दिनों तक बच्चे को सोने की ही बालियां पहनाई जानी चाहिए।
- इसके बाद कान के छेद पर कुछ हल्दी लगाएँ, और
- अंत में भगवान को प्रसाद का भोग लगाते हुए, समारोह में आए सभी लोगों को प्रसाद बाटें।
कर्णवेध संस्कार के लिए उपयोगी मंत्र:
स्थिरैरंगैस्तुष्टुवां सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः।।
कर्णवेध संस्कार के दौरान बरतें ये सावधानियां
यूँ तो कर्णवेध संस्कार संपन्न करना बेहद आसान होता है, परंतु बावजूद इसके इसकी प्रक्रिया को करते समय शिशु के अभिभावक को सावधानियां बरतते हुए, कुछ बातों का ध्यान रखने की हिदायत भी दी जाती है।
- सबसे पहले ये सुनिश्चित करें कि, जिस स्थान पर कर्णवेध संस्कार होना है, वो अच्छी तरह से साफ़ हो। वहां सफाई के बाद कुछ बूंदें गंगा जल की डालते हुए, आप हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का खात्मा कर सकते हैं।
- कान छेदने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला औजार कीटाणुरहित होना चाहिए, इसलिए उसे भी अच्छी तरह साफ़ करें।
- कान में छेद करने के दौरान, बच्चे को हर प्रकार के संक्रमण से बचाने के लिए, एंटीसेप्टिक क्रीम का इस्तेमाल करें।
- चूँकि कर्णवेध संस्कार लड़के और लड़की दोनों के लिए, अलग-अलग तरीके से ही संपन्न किया जाता है। इसलिए इस दौरान बालक के सबसे पहले दाएं कान में छेद किया जाता है और फिर बाएं में, जबकि बालिका के लिए इस क्रिया के दौरान पहले बाएं कान में और फिर दाएं कान में छेद करना शुभ होता है।
- बच्चे को केवल निकल तत्व मुक्त, बाली ही पहनानी चाहिए।इसके लिए सोने की बाली का उपयोग करना बेहद शुभ रहता है।
- ध्यान रहे कि बच्चे के कान में केवल ऐसी बालियों डाले, जिससे उसे असुविधा न हो।
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