वक्री ग्रह कैलेंडर 2025

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 एस्ट्रोसेज की एक विशेष पेशकश है। इस कैलेंडर में आपको वर्ष 2025 के दौरान कौन-कौन से ग्रह कब-कब वक्री अवस्था में आएंगे और कब वक्री से मार्गी अवस्था में आएंगे, इस बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है। हम यह मानते हैं कि आपको ग्रहों की वक्री और मार्गी चाल के बारे में वर्ष 2025 के दौरान कब-कब यह स्थितियां बनेंगी, उनके बारे में समस्त जानकारी होनी चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर हम आपको बताने वाले हैं कि वर्ष 2025 में कौन सा ग्रह कितनी तारीख को वक्री अवस्था में आएगा और उस समय वह किस राशि में होगा तथा उसकी वक्री अवस्था कब समाप्त होगी, कब वह मार्गी अवस्था में आएगा और किस राशि में उसकी उपस्थिति रहेगी। इससे आपको वर्ष 2025 के दौरान ग्रहों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हो पाएंगी।

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वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की चाल का बड़ा महत्व है। कोई ग्रह धीमा चलता है तो कोई ग्रह तेज चलता है और कोई बहुत तेज चलता है। कभी कोई ग्रह अतिचारी हो जाता है, तो कभी कोई ग्रह स्थिर अवस्था में भी आता हुआ प्रतीत होता है। इसी प्रकार, ग्रह उदय और अस्त होते हैं तथा ग्रह वक्री अवस्था और मार्गी अवस्था में भी चलते हैं। ज्योतिष के क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष ऐसी स्थिति आती है जब ग्रह वक्री अवस्था में आ जाते हैं। किसी ग्रह की वक्री अवस्था बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है क्योंकि वक्री अवस्था से युक्त ग्रह में चेष्टा बल की बढ़ोतरी हो जाती है जो अपने फल देने में मजबूती प्राप्त कर लेता है और आपको अच्छे अथवा बुरे, अपने स्वभाव और कुंडली में अपनी उपस्थिति के कारण अच्छे और बुरे फल मजबूती से देने लगता है इसलिए हमें यह जानना आवश्यक हो जाता है कि कोई ग्रह कब वक्री अवस्था में आने वाला है।

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जानिए क्या होता है वक्री ग्रह

वैदिक ज्योतिष में यदि ग्रहों की बात की जाए तो, मुख्य रूप से सात ग्रह माने गए हैं जिसमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, ये मुख्य सात ग्रह हैं। इनके अतिरिक्त दो छाया ग्रह हैं जिन्हें राहु और केतु के रूप में पहचाना जाता है।

वास्तव में वक्र का अर्थ होता है टेढ़ा। सभी ग्रह अपने परिक्रमा पथ में सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं और पृथ्वी से देखने पर उन ग्रहों की गति का आकलन किया जाता है तो कुछ विशेष स्थिति में ग्रह पृथ्वी से बहुत ज्यादा निकट आ जाते हैं और कुछ अत्यंत दूर हो जाते हैं। ऐसे में, जब कोई ग्रह पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष निकटतम बिंदु तक पहुंच जाता है, तब पृथ्वी से उसे देखने पर ऐसा लगने लगता है कि मानो वह उल्टी दिशा में चलने लगा हो। इसी उल्टी चाल को ज्योतिष की भाषा में वक्री होना कहा जाता है जबकि कोई भी ग्रह उल्टी चाल नहीं चलता अपितु पृथ्वी के सापेक्ष उसकी गति को देखते हुए ऐसा महसूस होता है कि वह उल्टा चल रहे हैं, जैसे कि एक ही दिशा में जा रही दो रेलगाड़ियों में जो तीव्र गति की रेलगाड़ी है उसे उसी की दिशा में चलने वाली धीमी गति की रेलगाड़ी उल्टी चलती हुई दिखाई देती है, इसी स्थिति को वक्री होना कहते हैं।

जब कोई ग्रह अपनी मार्गी अवस्था से वक्री अवस्था में आता है और अपनी वक्री अवस्था से मार्गी अवस्था में आता है, तो उसके प्रभाव देने की क्षमता और उसके प्रभावों में विभिन्न प्रकार के बदलाव देखने को मिल सकते हैं। यदि वक्री ग्रहों की बात करें, तो राहु और केतु सदैव वक्री चाल चलते हैं और यह कभी मार्गी अवस्था में नहीं आते हैं। अन्य मुख्य सात ग्रहों में सूर्य और चंद्रमा सदैव मार्गी अवस्था में रहते हैं और यह कभी भी वक्री नहीं होते हैं, लेकिन अन्य पांच ग्रह यानी कि मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि समय-समय पर मार्गी से वक्री अवस्था में और वक्री से मार्गी अवस्था में आ जाते हैं। इस प्रकार, यह मानव जीवन को प्रभावित करते रहते हैं।

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चलिए अब जानते हैं वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 के अनुसार कौन सा ग्रह कब वक्री होगा:

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025: वक्री ग्रह 2025 तिथि और समय

ग्रह वक्री गति प्रारंभ वक्री गति समाप्त इस राशि से इस राशि में
बृहस्पति ग्रह 09 अक्टूबर 2024 की प्रातः 10 बजकर 01 मिनट से 04 फरवरी 2025 वृषभ राशि वृषभ राशि
11 नवंबर 2025 को सायंकाल 6:31 बजे से 11 मार्च 2026 कर्क राशि मिथुन राशि
शनि ग्रह 13 जुलाई 2025 की प्रातः 07:24 बजे से 28 नवंबर 2025 मीन राशि मीन राशि
मंगल ग्रह 07 दिसंबर 2024 की सुबह 04 बजकर 56 मिनट से 24 फरवरी 2025 कर्क राशि मिथुन राशि
शुक्र ग्रह 2 मार्च 2025 की प्रातः 05 :12 बजे से 13 अप्रैल 2025 मीन राशि मीन राशि
बुध ग्रह 15 मार्च 2025 को दोपहर 11:54 बजे से 07 अप्रैल 2025 मीन राशि मीन राशि
18 जुलाई 2025 की प्रातः 09:45 बजे से 11 अगस्त 2025 कर्क राशि कर्क राशि
10 नवंबर 2025 को प्रातः 00:03 बजे से 29 नवंबर 2025 वृश्चिक राशि तुला राशि

शुक्र ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

शुक्र ग्रह को नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह माना जाता है। यह सौरमंडल का सबसे चमकीला ग्रह है और इसे भोर का तारा भी कहा जाता है। यह किसी भी जातक की कुंडली में अनुकूल होने पर जातक को भोग, विलास, सभी प्रकार के भौतिक सुख, सुविधा प्रदान करता है और अंतरंग संबंधों का कारक भी है। इसकी अशुभता से या कुंडली में अनुकूल स्थिति न होने पर जातक को यौन समस्याएं और प्रेम की कमी भी महसूस हो सकती है। बुध ग्रह के बाद शुक्र ग्रह सबसे तेज गति से सूर्य का चक्कर लगाने वाला ग्रह है।‌ यह लगभग 23 दिन में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर कर जाता है। शुक्र ग्रह को खूबसूरती का कारक ग्रह भी माना जाता है। महालक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त करने के लिए भी शुक्र ग्रह की पूजा की जाती है।

यदि जातक की कुंडली में शुक्र की स्थिति अनुकूल नहीं है, तो स्त्री-पुरुष के आपसी संबंध कमजोर हो जाते हैं और जीवन में प्रेम की कमी आ जाती है। सुख-सुविधाओं की कमी होती है और जीवन में खुशी और रस नहीं रहता। प्रेम में पछतावा या धोखा मिलने की स्थितियां भी बन सकती हैं। वहीं, यदि शुक्र शुभ स्थिति में हो, तो इन सभी स्थितियों को बढ़ा देता है। शुक्र यदि उच्च का होकर अशुभ परिस्थितियों से योग बन रहा हो, तो जातक विवाहेतर संबंधों के प्रति आकर्षित हो जाता है। शुक्र ग्रह नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रह है। यदि यह वक्री अवस्था में हो जाए तो जातक को पारिवारिक संबंधों में तनाव का सामना करना पड़ सकता है और जीवनसाथी से संबंध बिगड़ सकते हैं। यहां तक कि जातक के निजी जीवन की समस्याओं में बढ़ोतरी होती है। लेकिन, यदि वक्री शुक्र शुभ अवस्था में हो, तो जातक के जीवन में नए प्रेम संबंधों का शुभारंभ होता है। कोई व्यक्ति यदि जीवन में अकेला है, तो उसके जीवन में प्रेम दस्तक देने लगता है।

कुंवारों का विवाह होने लगता है और जातक अपनी सुख-सुविधाओं पर दिल खोलकर खर्च करते हैं जैसे ब्रांडेड चीज खरीदना, ब्रांडेड कपड़े पहनना, नए-नए गैजेट खरीदना, उसके शौक बन जाते हैं। नया मोबाइल कौन सा आया है, वह उसे लेने के लिए लालायित रहते हैं। वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 के अनुसार, वक्री शुक्र भी 2025 में लोगों के जीवन को अनेक रूपों में प्रभावित करेगा। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह अच्छी स्थिति में है, उन्हें वक्री अवस्था में भी कुछ अच्छे परिणाम मिलेंगे। लेकिन, थोड़े ज्यादा प्रयास करने के बाद जबकि जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ अवस्था में है, उन्हें वक्री अवस्था में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उनके आपसी प्रेम संबंध बिगड़ सकते हैं और रिश्तों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 उपाय: शुक्र ग्रह के उपाय के रूप में शुक्रवार के दिन छोटी कन्याओं के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्हें सफेद मिठाई भेंट करें। आप माँ भगवती को लाल गुड़हल का पुष्प भी अर्पित कर सकते हैं।

बुध ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त है। यह वैसे तो शुभ ग्रह माना जाता है, लेकिन कुंडली में जिस भाव में होता है और जिन ग्रहों के प्रभाव में होता है, उन्हीं के अनुसार अच्छे और बुरे परिणाम प्रदान करता है। बुध को संदेशवाहक माना जाता है। यह कम्युनिकेशन देता है। जातक की कम्युनिकेशन कैसी होगी, उसकी संवाद शैली से लोग प्रभावित होंगे अथवा उसके दुश्मन बन जाएंगे, यह सब कुछ बुध पर निर्भर रहता है। बुध व्यापार का कारक ग्रह भी है और यह आपको तेज बुद्धि प्रदान करता है जिससे शिक्षा से लेकर व्यवसाय तक सभी क्षेत्रों में बुध की कृपा प्राप्त कर लोग जीवन में बहुत ज्यादा तरक्की प्राप्त करते रहते हैं। बुध प्रधान व्यक्ति हास्य विनोद प्रिय होते हैं और हाजिर जवाब होते हैं। बुध से प्रभावित व्यक्ति अच्छे वक्ता होते हैं और किसी को भी अपनी वाणी से प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

बुध ग्रह का वक्री होना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, भले ही यह सबसे कम अवधि में गोचर करने वाला ग्रह है और एक राशि से दूसरी राशि में लगभग 14 दिन में गोचर कर जाता है, इसे ग्रहों का राजकुमार भी कहते हैं। लेकिन, जब बुध ग्रह वक्री होता है, तो जातक की कम्युनिकेशन में अचानक से बदलाव आ सकता है और उसके बनते हुए काम भी बिगड़ सकते हैं। उसके व्यवहार में भी और उसकी तार्किक क्षमता में भी बदलाव आने लगते हैं जो उसको अनेक रूपों में प्रभावित करते हैं। बुध ग्रह की चाल तीव्र होती है और यही वजह है कि एक साल में लगभग तीन से चार बार वक्री अवस्था में आ जाते हैं जबकि अन्य ग्रह लगभग एक बार ही वक्री होते हैं।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 के अनुसार, ऊपर हम यह जान चुके हैं कि वर्ष 2025 में बुध ग्रह कब वक्री होगा इसलिए जिन जातकों की कुंडली में बुध ग्रह शुभ अवस्था में हैं, तो बुध वक्री अवस्था के दौरान उनकी तार्किक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। उनका व्यवहार और सोचने-समझने की शक्ति अच्छी रहेगी। जातक वकालत के क्षेत्र में भी प्रगति करेगा और उसका व्यापार भी ऊंचाइयां प्राप्त करेगा जबकि जिन जातकों की कुंडली में बुध अशुभ है, उन्हें बुध ग्रह की वक्री अवस्था में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। त्वचा रोग, मानसिक समस्याएं, फ्लू और सर्दी जैसी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। मानसिक अस्थिरता या फिर नींद से जुड़ी समस्या घेर सकती हैं। इस दौरान जातक के मन में कई बार भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। बुध वक्री होने के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों से अच्छे संबंध बनाकर रखने के लिए अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और तर्क की जगह कुतर्क करने से बचें।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 उपाय: वर्ष 2025 के दौरान वक्री बुध के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए गौ माता की सेवा करें और एक दिन पहले से भिगोकर रखी गई साबुत मूंग अपने हाथों से गौ माता को खिलाएं। इसके साथ ही आप हरा पालक अथवा हरा चारा भी खिला सकते हैं।

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बृहस्पति ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

बृहस्पति ग्रह को देवगुरु भी कहा जाता है और वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति सर्वाधिक शुभ ग्रह माना गया है। गुरु की दृष्टि भी अमृत समान मानी गई है। यह वृद्धि करने वाला ग्रह है। यदि कुंडली में गुरु शुभ स्थान से योग बनाता है, तो जीवन में संतान सुख, वैवाहिक सुख और उत्तम भाग्य की प्राप्ति करवाता है और जातक को धन-धान्य की प्राप्ति भी होती है। यदि बृहस्पति अशुभ हो, तो जातक को वसा जनित समस्याएं, निजी संबंधों में समस्या और धर्म के विपरीत कार्य करने वाला बना देते हैं।

बृहस्पति ज्ञान का कारक ग्रह है इसलिए सर्वाधिक शुभ ग्रहों में बृहस्पति का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है। यह जातक को चिकित्सा, समृद्धि, आध्यात्मिक सफलता, विकास, संतान, शिक्षा, धन-धान्य, सौभाग्य, आदि प्रदान करते हैं और जातक के अंदर सात्विक गुणों की बढ़ोतरी करते हैं। बृहस्पति ग्रह की उत्तम स्थिति में जातक परोपकार और दया की भावना से भरा होता है और दूसरों की मदद करने को सदैव तत्पर रहता है। ऐसे जातक उत्तम प्रकृति के न्यायाधीश, कानून और फाइनेंस से संबंधित शिक्षा प्राप्त करने वाले, विदेश यात्राएं करने वाले और बड़े स्तर के व्यवसायी भी हो सकते हैं। यह जातक के अंदर ईमानदारी और ईश्वर के प्रति निष्ठा प्रदान करते हैं।

अशुभ अवस्था में देवगुरु बृहस्पति जातक को आलस से भर देते हैं जिससे उसके महत्वपूर्ण कार्यों में विलंब के योग बन जाते हैं। ऐसा जातक जल्दी ही थकावट महसूस करता है और जीवन में निराशा आने लगती है। ऐसे जातक के स्वभाव में भी बार-बार परिवर्तन आते हैं और उसका दांपत्य जीवन भी चुनौतियों से भर जाता है। कई बार रिश्ते की बात होकर भी टूट जाती है।

कुंडली में यदि बृहस्पति ग्रह शुभ अवस्था में हैं, तो अपनी वक्री अवस्था में यह जातक को आध्यात्मिकता के शीर्ष पर पहुंचा देते हैं। ऐसे व्यक्ति कथावाचक, उपदेशक या आध्यात्मिक गुरु भी बन सकते हैं। लेकिन, यदि अशुभ स्थिति में हों तो जातक पाखंड में विश्वास रखने वाला बनता है और लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने लगता है। हालांकि, आमतौर पर बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव ही देते हैं जिससे जातक के जीवन में सुख-सुविधाओं की वृद्धि होती है।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 के अनुसार, वर्ष 2025 में बृहस्पति ग्रह वक्री होने पर जातकों के जीवन में कुंडली में अपनी स्थिति और दशा, महादशा के अनुसार अशुभ और शुभ दोनों प्रकार के परिणाम दे सकते हैं। यह जातक को आत्मविश्वास से भर सकते हैं और उसकी आत्मिक शक्ति और आध्यात्मिकता को बढ़ा सकते हैं। विद्यार्थियों के लिए यदि कुंडली में उत्तम बृहस्पति हैं, तो वह वक्री अवस्था में एकाग्रता बढ़ाने का मौका देते हैं। जातक को सेल्स और मार्केटिंग के काम में भी सफलता देते हैं। इस दौरान गलत कार्य करने से बचना चाहिए, नहीं तो सरकारी दंड की प्राप्ति भी हो सकती है।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 उपाय: बृहस्पति वक्री2025 के दौरान आपको अपने परिवार के वृद्ध और गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए। बृहस्पतिवार के दिन केले का वृक्ष लगाएं और पीपल वृक्ष को स्पर्श किए बिना जल अर्पित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा भी करनी चाहिए।

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शनि ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। यह सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं इसलिए मंद-मंद चलने के कारण इन्हें मंद और शनैश्चर भी कहा जाता है। यह लगभग ढाई वर्ष में अपनी राशि बदलते हैं। इनकी साढ़ेसाती और ढैया जातकों को विशेष प्रभाव देने वाली मानी जाती है। यह कर्मफल दाता और न्यायाधीश भी हैं इसलिए जातक को बिना किसी भेदभाव के उसके कर्मों के अनुसार अच्छे और बुरे परिणाम प्रदान करते हैं। यह जातक को सत्य से परीक्षित करते हैं। यह न्याय प्रिय ग्रह हैं जो जातक को जीवन में अनुशासन का महत्व समझाते हैं।

कर्म के कारक ग्रह होने के कारण जातक के कर्म और व्यवसाय का निर्धारण शनि ग्रह के अधीन आता है। जातक को नौकरी कैसी मिलेगी, कब मिलेगी और क्या उसकी भूमिका रहेगी, यह भी शनि की स्थिति देखकर पता लगाया जा सकता है। शनि देव सेवा के परिचायक ग्रह हैं इसलिए जातक को अपने अधीन काम करने वाले लोगों को खुश रखने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह जातक को ईमानदारी, विश्वसनीयता, निष्ठा तथा अनुशासन से जीवन व्यतीत करने का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

कुंडली में शुभ स्थिति में शनि होने पर जातक अच्छी मेहनत करता है और मेहनत के लिए उसे कभी पछताना नहीं पड़ता, बल्कि ऐसे जातक समाज, किसी क्षेत्र के मुखिया बन जाते हैं। वह रंक से राजा बनने की सामर्थ्य भी रखते हैं। शनि प्रधान व्यक्ति सामाजिक तौर पर भी उन्नति करते हैं और राजनीतिक क्षेत्र में भी उन्हें अच्छी सफलता मिल सकती है। शनि की शुभ स्थिति होने पर जातक जीवन में उत्तरोत्तर वृद्धि करता है और जैसे-जैसे उसकी आयु में बढ़ोतरी होती है, उसकी तरक्की होती चली जाती है। इसके विपरीत, कुंडली में अशुभ स्थिति में शनि होने पर जातक को आलस और शोक का सामना करना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में भी उसे हद से ज्यादा मेहनत करने के बाद अल्प परिणामों की प्राप्ति ही हो पाती है।

वैसे तो सभी ग्रह वक्री अवस्था में अलग-अलग प्रकार के प्रभाव देते हैं, लेकिन इन सभी ग्रहों में शनि देव का वक्री होना ज्यादा अनुकूल नहीं माना जाता है। यह चेष्टा बल प्राप्त कर लेते हैं, परंतु मंद होने के कारण अपनी वक्री अवस्था में और भी अधिक मंदता से यानी धीमी गति से फल देने लगते हैं। इससे जातक के कार्यों में विलंब आने लगता है और उसे पहले से भी ज्यादा प्रयास करने के बाद ही सफलता मिलने की स्थिति बन पाती है।

शनि देव की कुंडली में स्थिति यह जरूर बताती है कि यदि आप मेहनत करेंगे और सच्चे रहेंगे तो भले ही देर हो जाए, लेकिन आपको उसके शुभ परिणाम अवश्य ही मिलेंगे। वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 के अनुसार, शनि वक्री 2025 के दौरान अनेक जातकों के ऊपर शनि की स्थिति का शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ेगा, जो उनकी कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार उन्हें प्राप्त होगा इसलिए जातकों को सत्कर्म करने की तरफ अग्रसर रहना चाहिए और अपने कार्यों में विश्वसनीयता बनाए रखनी चाहिए।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 उपाय: शनि ग्रह वक्री 2025 के दौरान जातक को शनिवार के दिन शनि देव के दाहिने पांव की सबसे छोटी अंगुली पर थोड़े से सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त दिव्यांगजन और गरीबों को भोजन कराना चाहिए।

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मंगल ग्रह वक्री और उसके प्रभाव

मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति कहा जाता है और यह एक क्रूर ग्रह भी माना जाता है। लेकिन, अत्यंत शक्तिशाली होता है और हर परिणाम को जल्दी देता है। कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में मंगल की अशुभ स्थिति जातक को मांगलिक बनाती है जो दांपत्य जीवन में समस्याएं दे सकता है। लेकिन, यही मंगल अनुकूल परिस्थिति में होने पर जातक को कार्यक्षेत्र में उत्तम सफलता, उच्च पद की प्राप्ति और वर्दी वाली नौकरी भी प्रदान कर सकता है। अच्छी सरकारी नौकरी प्राप्त होने से जातक का सामाजिक रहन-सहन भी ऊंचा हो जाता है। यह अत्यंत ऊर्जावान ग्रह माना जाता है जो जातक को जीवन में ऊर्जा प्रदान करता है। एक मजबूत मंगल कुंडली में होने पर जातक किसी से भी डरता नहीं, वह निडर और बहादुर होता है और हर चुनौती का सामना डटकर करता है।

यदि मंगल आपकी कुंडली में अशुभ अवस्था में है, तो यह आपके लिए अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है। आपके अंदर क्रोध की अधिकता हो सकती है। आप बात-बात पर लड़ने वाले हो सकते हैं। आपके संबंध आपके भाई-बहनों से बिगड़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त, शुभ मंगल के कारण जातक को रक्त संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। उसका रक्तचाप अनियमित हो सकता है और चोट या दुर्घटना के योग भी बन सकते हैं।

यदि आपकी कुंडली में मंगल अच्छी अवस्था में है, तो यह आपको अचल संपत्ति प्रदान करता है क्योंकि यह भूमि का कारक ग्रह माना जाता है। इन्हें साहस और पराक्रम का देवता भी कहा जाता है। यह हमारे शरीर में रक्त का संचालन करते हैं। इन्हीं के प्रभाव से जातक की नेतृत्व क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 के अनुसार, शुभ स्थिति में मंगल होने पर जब मंगल वक्री होता है, तो जातक को कार्यक्षेत्र में सफलताएं प्रदान करता है, लेकिन उससे ज्यादा मेहनत भी कराता है। हालांकि, जातक को उत्तम सफलता और उच्च पद की प्राप्ति भी कराता है। ऐसे जातक कुशल नेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाने में माहिर होते हैं। वहीं, जातक की कुंडली में मंगल अशुभ होने पर वर्ष 2025 में मंगल के वक्री होने के दौरान जातक को चोट लगने, उसकी शल्य चिकित्सा होने, कोर्ट-कचहरी या पुलिस का सामना करने और बेवजह के झगड़े में फंसवाने की स्थिति भी बना सकता है। ऐसे में, जातक को दूसरों के झगड़े में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए, नहीं तो उनके झगड़े जातक के ऊपर आ सकते हैं। जातक को मानसिक उन्माद और क्रोध एवं अवसाद का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में, जातक को अच्छी सलाह देने वाले लोगों की बात माननी चाहिए, विशेष रूप से अपने भाइयों की सलाह मानकर काम करने से लाभ होता है।

वक्री ग्रह कैलेंडर 2025 उपाय: वर्ष 2025 के दौरान मंगल वक्री होने पर आपको मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाकर चार केले उनको अर्पित करने चाहिए और अनार का पौधा किसी बगीचे अथवा मंदिर में लगाना चाहिए। छोटे बालकों को गुड़ और चने का प्रसाद बांटना चाहिए।

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हम आशा करते हैंं कि शनि गोचर 2025 आपके जीवन में खुशहाली और तरक्की लेकर आए और आप जीवन में कभी भी हताश न हों। हमारी वेबसाइट पर विजिट करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. 2025 में शनि ग्रह कब वक्री होंगे?

शनि महाराज 13 जुलाई 2025 को मीन राशि में वक्री हो जाएंगे।

2. राहु 2025 में कब वक्री होंगे?

ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना जाता है जो सदैव वक्री अवस्था में आगे बढ़ते हैं इसलिए यह कभी वक्री या मार्गी नहीं होते हैं।

3. गुरु ग्रह 2025 में मार्गी कब होंगे?

बृहस्पति देव वृषभ राशि में 04 फरवरी 2025 को मार्गी हो जाएंगे।

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