कर्णवेध मुहूर्त 2025

एस्ट्रोसेज के इस कर्णवेध मुहूर्त 2025 आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं वर्ष 2025 में कर्णछेदन संस्कार के लिए कौन-कौन सी शुभ तिथियां होने वाली हैं एवं उनका शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। साथ ही इस लेख में आपको कर्णवेध संस्कार के महत्व, विधि और कर्णवेध मुहूर्त को निर्धारित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आदि के बारे में भी जानकारी देने का हम प्रयत्न करेंगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले नज़र डालते हैं कर्णवेध मुहूर्त 2025 की सूची पर जिसकी सहायता से आप अपने बच्चे के कर्णछेदन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगा सकते हैं।

देखें कर्णवेध मुहूर्त 2025 की सूची!

Read in English: Karnavedha Muhurat 2025

कर्णवेध मुहूर्त 2025 हिंदू धर्म में विशेष तौर पर 16 संस्कारों का जिक्र किया गया है। इसी में नौवाँ संस्कार होता है कर्णवेध संस्कार। कर्णवेध संस्कार अर्थात कान को छेदना और इसमें आभूषण पहनना। यह संस्कार इसलिए किया जाता है ताकि बच्चे की सुनने की क्षमता विकसित हो और वह स्वस्थ जीवन जी सके। कर्णवेध संस्कार के तहत बच्चा कान में जो भी आभूषण धारण करता है उससे बच्चे की सुंदरता तो बढ़ती ही है साथ ही इसका जीवन में लंबे समय तक उसके जीवन पर असर नजर आता है। 

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विशेष जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि हिंदू धर्म के अनुसार जब भी लड़के का कर्णवेध संस्कार होता है तो उसके दाएं कान को छेदे जाने की परंपरा है और जब भी लड़की का कर्णवेध संस्कार होता है तो उसका पहला कान बायाँ कान छेदे जाने की परंपरा है।

सिर्फ इतना ही नहीं कर्णवेध संस्कार से जुड़ी और भी कई दिलचस्प बातें हैं जिनको जानना सभी के लिए बेहद अनिवार्य होता है। तो चलिए आज हमारे इस खास लेख के माध्यम से कर्णवेध संस्कार से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त करते हैं और साथ ही जान लेते हैं कि इसका महत्व क्या होता है और वर्ष 2025 में कौन-कौन सी तिथियां हैं जब आप अपने बच्चों का कर्णवेध मुहूर्त संस्कार पूरा कर सकते हैं।

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कर्णवेध मुहूर्त 2025: क्या है इसका महत्व?

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि कर्णवेध संस्कार बच्चों की खूबसूरती से लेकर उसकी बुद्धि, उसकी अच्छी सेहत सभी को प्रभावित करता है। इसके अलावा कहा जाता है कि यह संस्कार इसलिए किया जाता है ताकि बच्चे की सुनने की क्षमता में वृद्धि हो सके। कर्णवेध संस्कार के बाद जब बच्चा अपने कानों में आभूषण धारण करता है तो इससे उसकी सुंदरता और उसका तेज बढ़ता है। इसके अलावा कर्णवेध संस्कार को सही ढंग से पूरा करने से बच्चे को हर्निया जैसी गंभीर बीमारी से भी बचाया जा सकता है। साथ ही ऐसे बच्चों को लकवा आदि आने की आशंका भी बेहद कम या खत्म हो जाती है। 

आपको जानकर हैरानी होगी की प्राचीन समय में हिंदू कर्णवेध संस्कार जो कोई नहीं करवाता था उन्हें श्राद्ध करने का अधिकार भी नहीं मिलता था।

कब और कैसे करवाया जाता है कर्णवेध संस्कार?

कर्णवेध मुहूर्त 2025 के अनुसार, कर्णवेध संस्कार के लिए बेहद जरूरी है कि आप शुभ मुहूर्त (कर्णवेध मुहूर्त) का चयन करें। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार जब भी कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है तो इससे उस काम की शुभता कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में आगे हम आपको वर्ष 2025 के कर्णवेध मुहूर्त 2025 की जानकारी भी प्रदान करेंगे। हालांकि इससे पहले हम आपको कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों से भी अवगत कराना चाहते हैं जैसे की कर्णवेध संस्कार करने के लिए कई समय बताए गए हैं। 

  • आप अपने बच्चों के जन्म के बारहवें या 16वें दिन भी कर्णवेध संस्कार करवा सकते हैं। 
  • बहुत से लोग बच्चे के जन्म के छठे, सातवें या फिर आठवें महीने में भी यह संस्कार पूरा करवाते हैं। 
  • इसके अलावा प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यदि यह संस्कार बच्चों के जन्म के 1 साल के अंदर नहीं किया जाता है तो फिर इस विषम वर्ष यानी की तीसरे, पांचवें या फिर सातवें वर्ष में करा लेना चाहिए।

माह: बात करें माह की तो कर्णवेध संस्कार के लिए कार्तिक मास, पौष मास, फाल्गुन मास और चैत्र मास को बेहद ही फलदाई माना जाता है।

दिन/वार: दिन की बात करें तो सप्ताह में सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन कर्णवेध संस्कार के लिए बेहद ही उपयुक्त माने गए हैं।

नक्षत्र: कर्णवेध संस्कार के लिए उपयुक्त नक्षत्र की बात करें तो मृगशिरा नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, हस्तनक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, अभिजित नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र और पुनर्वसु नक्षत्र इस संस्कार के लिए बेहद ही शुभ माने जाते हैं।

तिथि: कर्णवेध संस्कार के लिए चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथियां और अमावस्या तिथि को छोड़कर सभी तिथियां शुभ मानी गई है।

लग्न: कर्णवेध संस्कार के लिए विशेष तौर पर वृषभ लग्न, तुला लग्न, धनु लग्न और मीन लग्न को विशेष रूप से शुभ माना गया है। इसके अलावा अगर बृहस्पति लग्न में कर्णवेध संस्कार कराया जाए तो यह सबसे सर्वोत्तम माना जाता है।

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विशेष जानकारी: खरमास, क्षय तिथि, हरि शयन, सम वर्ष अर्थात (द्वितीय, चतुर्थ इत्यादि) के दौरान कर्णवेध संस्कार नहीं किया जाना चाहिए।

कैसे किया जाता है कर्णवेध संस्कार?

  • कर्णवेध संस्कार को पूरा करने के लिए माता-पिता अपने बच्चों को किसी पवित्र जगह पर लेकर जाते हैं जहां पर इस संस्कार को पूरा किया जाता है। 
  • इसमें पहले देवी देवताओं का पूजन किया जाता है, उनसे आशीर्वाद लिया जाता है, इसके बाद मुंह सूर्य की तरफ करके बैठ जाते हैं। 
  • कर्णवेध मुहूर्त 2025 के अनुसार, इस दौरान हाथ में चांदी, सोने या फिर लोहे की सुई होती है जिससे बच्चे का कान छेदना होता है। 
  • इसके बाद बच्चों के कान में एक मंत्र बोला जाता है। ये मंत्र है: भद्रं कर्णेभिः क्षृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः। स्थिरैरंगैस्तुष्टुवां सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः।।
  • इसके बाद लड़के के पहले दाएं कान और फिर बाएं कान में छेद करके आभूषण पहनाया जाता है। लड़की है तो पहले बाएँ और फिर दाएं कान में छेद करके उसे आभूषण पहनाया जाता है। 
  • मान्यता के अनुसार बात करें तो इस दौरान सोने का कुंडल या फिर आभूषण पहनाना ज्यादा शुभ माना गया है क्योंकि इससे दिमाग के दोनों हिस्से विद्युत के प्रभाव से बेहद ही मजबूत बन जाते हैं। 
  • कर्णवेध मुहूर्त 2025 के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जो कोई लड़की अपने कान में सोने के आभूषण पहनती है उन्हें मासिक धर्म से संबंधित कोई भी परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा इससे हिस्टीरिया नामक बीमारी से भी लाभ मिलता है।

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कर्णवेध मुहूर्त 2025: कर्णवेध संस्कार 2025 

कर्णवेध संस्कार के तमाम महत्व होते हैं जैसे कि हमने पहले भी बताया कि जब बच्चों का कान छिदवाया जाता है या उनका कर्णवेदन संस्कार किया जाता है तो कान के एक ऐसे पॉइंट पर दबाव पड़ता है जिससे उनका दिमाग और भी ज्यादा एक्टिव हो जाता है। इसके अलावा मान्यता के अनुसार कहते हैं कि कर्णवेध संस्कार से बच्चों की मेधा शक्ति में वृद्धि होती है जिसके दम पर वह अच्छे से ज्ञान अर्जित करने में कामयाब रहते हैं, कर्णवेध से बच्चे बुद्धिमान बनते हैं। 

इसके अलावा एक्यूपंक्चर पद्धति के अनुसार कहा जाता है कि कान के निचले हिस्से से आंखों की नसों का कनेक्शन होता है। ऐसे में जब इस बिंदु पर कान छेदा जाता है तो इससे व्यक्ति के आंखों की रोशनी में भी वृद्धि होती है। कर्णवेध संस्कार के तमाम महत्व जानने के बाद चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं 2025 में कर्णवेध मुहूर्त 2025 कौन-कौन से रहने वाले हैं।

नीचे हम आपको कर्णवेध मुहूर्त 2025 के माध्यम से कर्णवेध संस्कार के लिए एक सूची प्रदान कर रहे हैं जिसमें आप साल के सभी 12 महीनों में विभिन्न कर्णवेध मुहूर्त संस्कारों की जानकारी जान सकेंगे। 

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जनवरी

तिथि 

मुहूर्त

2 जनवरी 2025 

11:46-16:42

8 जनवरी 2025

16:18-18:33

11 जनवरी 2025

14:11-16:06

15 जनवरी 2025

07:46-12:20

20 जनवरी 2025

07:45-09:08

30 जनवरी 2025

07:45-08:28

09:56-14:52

17:06-19:03

फरवरी

तिथि 

मुहूर्त

8 फरवरी 2025 

07:36-09:20

10 फरवरी 2025

07:38-09:13

 10:38-18:30

17 फरवरी 2025

08:45-13:41

 15:55-18:16

20 फरवरी 2025

15:44-18:04

21 फरवरी 2025

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26 फरवरी 2025

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मार्च 

तिथि 

मुहूर्त

2 मार्च 2025 

10:54-17:25

15 मार्च 2025

10:03-11:59

 14:13-18:51

16 मार्च 2025

07:01-11:55

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20 मार्च 2025

06:56-08:08

 09:43-16:14

26 मार्च 2025

07:45-11:15

 13:30-18:08

30 मार्च 2025

09:04-15:35

31 मार्च 2025

07:25-09:00

 10:56-15:31

अप्रैल

तिथि 

मुहूर्त

3 अप्रैल, 2025

07:32-10:44

 12:58-18:28

5 अप्रैल, 2025

08:40-12:51

 15:11-19:45

13 अप्रैल, 2025

07:02-12:19

 14:40-19:13

21 अप्रैल, 2025

14:08-18:42

26 अप्रैल, 2025

07:18-09:13

मई 

तिथि 

मुहूर्त

1 मई, 2025 

13:29-15:46

2 मई, 2025

15:42-20:18

3 मई, 2025

07:06-13:21

 15:38-19:59

4 मई, 2025

06:46-08:42

9 मई, 2025

06:27-08:22

 10:37-17:31

10 मई, 2025

06:23-08:18

 10:33-19:46

14 मई, 2025

07:03-12:38

23 मई, 2025

16:36-18:55

24 मई, 2025

07:23-11:58

 14:16-18:51

25 मई, 2025

07:19-11:54

28 मई, 2025

09:22-18:36

31 मई, 2025

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 13:48-18:24

जून 

तिथि 

मुहूर्त

5 जून 2025 

08:51-15:45

6 जून 2025

08:47-15:41

7 जून 2025

06:28-08:43

15 जून 2025

17:25-19:44

16 जून 2025

08:08-17:21

20 जून 2025

12:29-19:24

21 जून 2025

10:08-12:26

 14:42-18:25

26 जून 2025

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27 जून 2025

07:24-09:45

 12:02-18:56

जुलाई 

तिथि 

मुहूर्त

2 जुलाई, 2023 

11:42-13:59

3 जुलाई, 2023

07:01-13:55

7 जुलाई, 2023

06:45-09:05

 11:23-18:17

12 जुलाई, 2023

07:06-13:19

 15:39-20:01

13 जुलाई, 2023

07:22-13:15

17 जुलाई, 2023

10:43-17:38

18 जुलाई, 2023

07:17-10:39

 12:56-17:34

25 जुलाई, 2023

06:09-07:55

 10:12-17:06

30 जुलाई, 2023

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31 जुलाई, 2023

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 16:43-18:47

अगस्त 

तिथि 

मुहूर्त

3 अगस्त 2025 

11:53-16:31

4 अगस्त 2025

09:33-11:49

9 अगस्त 2025

06:56-11:29

 13:49-18:11

10 अगस्त 2025

06:52-13:45

13 अगस्त 2025

11:13-15:52

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14 अगस्त 2025

08:53-17:52

20 अगस्त 2025

06:24-13:05

 15:24-18:43

21 अगस्त 2025

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27 अगस्त 2025

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28 अगस्त 2025

06:28-10:14

30 अगस्त 2025

16:49-18:31

31 अगस्त 2025

16:45-18:27

सितंबर

तिथि 

मुहूर्त

5 सितंबर, 2025 

07:27-09:43

 12:03-18:07

22 सितंबर, 2025

13:14-17:01

24 सितंबर, 2025

06:41-10:48

 13:06-16:53

27 सितंबर, 2025

07:36-12:55

 14:59-18:08

अक्टूबर 

तिथि 

मुहूर्त

2 अक्टूबर 2025

10:16-16:21

 17:49-19:14

4 अक्टूबर 2025

06:47-10:09

8 अक्टूबर 2025

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11 अक्टूबर 2025

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13 अक्टूबर 2025

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24 अक्टूबर 2025

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30 अक्टूबर 2025

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31 अक्टूबर 2025

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नवंबर

तिथि 

मुहूर्त

3 नवंबर 2025

15:43-17:08

10 नवंबर 2025

10:02-16:40

16 नवंबर 2025

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17 नवंबर 2025

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20 नवंबर 2025

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21 नवंबर 2025

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26 नवंबर 2025

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27 नवंबर 2025

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दिसंबर 

तिथि 

मुहूर्त

1 दिसंबर 2025 

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5 दिसंबर 2025

13:37-18:33

6 दिसंबर 2025

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7 दिसंबर 2025

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15 दिसंबर 2025

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17 दिसंबर 2025

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24 दिसंबर 2025

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25 दिसंबर 2025

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28 दिसंबर 2025

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29 दिसंबर 2025

12:03-15:03

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कर्णवेध संस्कार के बाद क्या करें? 

कर्णवेध मुहूर्त 2025 के मुताबिक, कर्णवेध संस्कार करने के बाद आप बच्चे को कान में चांदी या फिर सोने की तार पहना सकते हैं क्योंकि इस उम्र में बच्चे बहुत ही छोटे होते हैं और उनके कान पके नहीं इसलिए हल्दी को नारियल के तेल में मिलाकर आप तब तक नियमित रूप से उस जगह पर लगाएँ जब तक की छेद अच्छी तरह से ठीक ना हो जाए।

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कर्णवेध संस्कार का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सिर्फ शास्त्रों में ही नहीं बल्कि कर्णवेध संस्कार को आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आध्यात्मिक महत्व की बात करें तो कर्णवेध संस्कार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के बीच में किया जाता है। कर्णवेध मुहूर्त 2025 के माध्यम से इस संस्कार को करने से बच्चे की मेधा शक्ति तेज होती है। ऐसे बच्चे उच्च ज्ञान प्राप्त करते हैं, बुद्धिमान होते हैं, उनके जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और वह तेज दिमाग वाले बनते हैं।

वहीं वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार कर्ण यानी कि कान के निचले हिस्से जिसे अंग्रेजी में एयरलोब (earlobe) कहा जाता है वहां छेद करने से दिमाग का महत्वपूर्ण हिस्सा जागरूक होता है। कान के इसी हिस्से के आसपास आंख से जुड़ी हुई भी एक नस होती है जिसे दबाने से आंखों की रोशनी में सुधार होता है। कर्णवेध मुहूर्त 2025 के अनुसार, जब कान छिदवाया जाता है तो एक निश्चित बिंदु पर दबाव पड़ता है और आंखों की रोशनी में सुधार होता है जिससे व्यक्ति को मानसिक बीमारी, घबराहट, चिंता जैसी परेशानियों से निजात मिलती है।

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कर्णवेध मुहूर्त 2025 के तहत कर्णवेध संस्कार की तरह ही कन्याओं के कान के साथ-साथ नाक छिदवाने की भी परंपरा है और उसके भी कई फायदे बताए गए हैं। नाक छिदवाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है और कई तरह के रोग दूर होते हैं। ऐसा कहा जाता है की नाक के बाएं नथुने में ऐसी कई नसे होती है जो महिलाओं के प्रजनन अंग से जुड़ी होती है। ऐसे में नाक छिदवाने से प्रसव के दौरान महिलाओं को आसानी होती है और उन्हें पीड़ा सहन करने में सहायता मिलती है। यही सब वजह ही है कि जिनकी वजह से हिंदू धर्म में कर्णवेध संस्कार को बेहद ही प्रमुख माना गया है।

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हम उम्मीद करते हैं कर्णवेध मुहूर्त विशेष हमारा यह खास लेख आपके लिए सहायक साबित हुआ होगा और आपको इससे उपयुक्त जानकारी प्राप्त हुई होगी। अगर ऐसा है तो इस लेख को अपने शुभचिंतकों, दोस्तों आदि के साथ शेयर करना ना भूलें। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

अक्सर पूछे जाने प्रश्न

प्रश्न:1 कर्णवेध संस्कार कब किया जाता है?

उत्तर: आप चाहे तो बच्चे के जन्म के छठे, सातवें या फिर आठवें महीने में कर्णवेद संस्कार करवा सकते हैं।

प्रश्न:2 सितंबर 2025 में कर्णवेध संस्कार कब करें?

उत्तर: सितंबर 2025 में कर्णवेध संस्कार के लिए चार मुहूर्त उपलब्ध हैं।

प्रश्न:3 कर्णवेध संस्कार किस समय नहीं किया जाता है?

उत्तर: चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या के दिन कर्णवेध संस्कार करने से बचना चाहिए।

प्रश्न:4 दिसंबर 2025 में कर्णवेध संस्कार कब करें?

उत्तर: वर्ष 2025 में दिसंबर माह में कर्णवेध संस्कार के 10 मुहूर्त दिए गए हैं।

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