सावन सोमवार का महत्व और विशेष बातें
जानें सावन सोमवार के व्रत का महत्व। कैसे होती है इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति। साथ ही पढ़ें सावन सोमवार व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें…
सावन सोमवार
सावन हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवा महीना है और यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त के दौरान पड़ता है। भगवान शंकर को समर्पित सावन का महीना अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह भगवान शंकर का प्रिय महीना है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु हरिशयनी या देवशयनी एकादशी पर विश्राम करने क्षीरसागर में चले जाते हैं तो इस दौरान समस्त ब्रह्मांड के पालन का दायित्व भगवान शिव स्वयं ले लेते हैं। सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा माता पार्वती के साथ करने से सभी प्रकार के मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और अनेक प्रकार की समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है।
वर्ष 2019 में सावन सोमवार की तिथि
पहला सावन सोमवार व्रत | सोमवार | जुलाई 22, 2019 |
दूसरा सावन सोमवार व्रत | सोमवार | जुलाई 29, 2019 |
तीसरा सावन सोमवार व्रत | सोमवार | अगस्त 5, 2019 |
चौथा सावन सोमवार व्रत | सोमवार | अगस्त 12, 2019 |
सावन के सोमवार का लाभ
अगर आपके विवाह में समस्या आ रही है या फिर आर्थिक स्थिति कमजोर है या आपको स्वास्थ्य से संबंधित कोई परेशानी चली आ रही है तो सावन के सोमवार का व्रत रखना इन सभी समस्याओं से मुक्ति दिला सकता है। सावन के दौरान का समय वर्षा ऋतु का होता है, इसलिए चारों ओर प्रकृति की खूबसूरत छटा देखते ही बनती है। भगवान शिव और शक्ति को पुरुष और प्रकृति के रूप में जाना जाता है। ऐसे में जब प्रकृति अपनी अनुपम छटा बिखेरती है तो भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न रहते हैं और भक्तों की मनोकामना शीघ्र ही प्रसन्न होकर पूरी कर देते हैं।
सावन सोमवार की विशेष बातें
- शनि देव को भगवान शिव का प्रिय शिष्य माना जाता है इसलिए सावन के सोमवार को व्रत रखने से भगवान शंकर के साथ-साथ शनिदेव भी अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं।
- चूंकि भगवान शंकर अपने शीश पर चंद्रमा को विराजित किए रहते हैं। इसलिए सोमवार का दिन भगवान शिव के साथ-साथ चंद्रमा को भी समर्पित होता है। इसी कारण सावन के सोमवार का व्रत करने से आपको ना केवल भगवान शंकर की कृपा मिलती है अपितु चंद्र देव की कृपा मिलने से आपकी कुंडली में उपस्थित चंद्र दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
- यदि आपकी कुंडली में ग्रहण दोष या सर्प दोष है तो इस दौरान व्रत रखने से और भगवान शंकर की पूजा करने से ही सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
- इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के दोषों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए और पापों के शमन के लिए भी भगवान शंकर की पूजा सावन के महीने में करना अत्यंत लाभदायक होता है।
- सावन सोमवार के दिन यदि नाग पंचमी का त्यौहार आए तो इसे अत्यंत ही शुभ संयोग माना जाता है और इस दिन नागों की पूजा भी की जाती है।
सावन सोमवार का उद्देश्य
वैदिक ज्योतिष अनुसार भगवान शंकर प्रकृति का सामंजस्य बनाए रखने पर विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। वे एक ओर अपने गले में विषधर वासुकि नाग को धारण किए रहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ अपने मस्तक पर चंद्र देव और जटाओं में मां गंगा को। उनका वाहन वृषभ है जिसे हम नंदी बैल के नाम से भी जानते हैं तो वहीं महादेव की अर्धांगिनी माता पार्वती का वाहन शेर है। भगवान शंकर के पुत्र गणेश और कार्तिकेय के वाहन क्रमशः मूषक और मयूर हैं। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह सभी जीव एक दूसरे के शत्रु हैं लेकिन भगवान शंकर के निवास कैलाश पर बड़ी ही प्रेम पूर्वक रहते हैं। इनके माध्यम से भगवान शंकर हमें संदेश देते हैं कि हमें प्रकृति में संतुलन बनाए रखना चाहिए और सावन मास में जब प्रकृति अपनी अनुपम छटा बिखेरती है तो उस दौरान प्रकृति का श्रंगार होता है। ऐसे में मानव मात्र को भी प्रकृति संतुलन पर ध्यान देना चाहिए जिससे किसी प्रकार की कोई परेशानी भविष्य में हमें ना सताए। इससे भगवान शंकर की कृपा सहज भी प्राप्त हो जाती है।
व्रत व पूजन विधि
सावन के सोमवार का व्रत भी आम सोमवार के व्रत की तरह ही रखा जाता है लेकिन इसका महत्व अधिक होता है। इस व्रत के पूजन की विधि इस प्रकार से है:
- प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठे और स्नानादि करके शुद्ध हो जाएं ।
- इसके पश्चात भगवान शंकर का अभिषेक दूध, जल, गन्ने का रस, सरसों का तेल आदि से अपनी श्रद्धा अनुसार करें।
- महादेव को सफेद चंदन लगाएं और उन्हें धतूरा, भांग, बिल्वपत्र, आंकड़ा आदि अर्पित करें।
- उनके समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करें।
- इसके बाद सावन सोमवार व्रत कथा पढ़ने या सुने और भगवान शिव की स्तुति और आरती करें।
- उसके पश्चात उन्हें भोग लगाएं।
- व्रत वाले दिन सुबह और शाम दोनो समय भगवान शंकर की उपासना करें।
- संध्या के समय भगवान शिव की पूजा के उपरांत व्रत खोलें और ध्यान रखें कि दिन में केवल एक बार ही भोजन करें।
भगवान शिव को सावन मास प्रिय क्यों है?
धार्मिक आस्था और मान्यताओं को देखें तो सावन के संदर्भ में अनेक कथाओं में से एक कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में प्राप्त करने के लिए श्रावण मास में निराहार अत्यंत कठिन व्रत किया और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन देकर उनसे विवाह करने का वरदान दिया।
अगली मान्यता के अनुसार इसी मास में भगवान शिव ने अपनी ससुराल हेतु प्रस्थान किया जहां उनका स्वागत जलाभिषेक द्वारा किया गया था। इसलिए मान्यता है कि पृथ्वी वासियों के लिए भगवान शिव की सहज कृपा पाने के लिए सावन सोमवार व्रत रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि सावन के महीने में भगवान शंकर स्वंय पृथ्वी पर आकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
इसी सावन महीने में कांवड़ यात्रा का भी आयोजन किया जाता है जिसमें सभी शिव भक्त कांवड़िए बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और विभिन्न नदियों से पवित्र जल लेकर भगवान शंकर को अर्पित करके अपनी मनोकामना को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।
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सावन सोमवार व्रत की मान्यता
सावन के महीने में पढ़ने वाले सोमवार को जो भी भक्त भगवान शिव की पूजा पूरे मन से करते हैं उसे भगवान शिव के साथ माता पार्वती का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस व्रत के रखने से अविवाहित लोगों का विवाह होने की संभावना बनती है और लम्बी आयु का वरदान मिलता है। स्वास्थ्य से संबंधित सभी कष्ट दूर होते हैं और प्रकृति से जुड़ने का अनुभव प्राप्त होता है। सावन के महीने में वृक्ष लगाने से भगवान शंकर की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
हम आशा करते हैं कि सावन सोमवार से संबंधित हमारा यह आलेख आपको पसंद आया होगा और आप अपनी अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए सावन सोमवार व्रत रखकर भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करेंगे।
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